इसके विशिष्ट खुशबू और स्वाद के कारण पैशन फ्रूट समस्त उष्णकटिबंधीय फलों में एक विशिष्ट फसल है। इसके फल के आंतरिक भाग में मेम्ब्रेन सैक का एक सुगंधित पदार्थ होता है, जिसमें गूदा रूप में तरल नारंगी रंग का द्रव्य तथा काले धब्बे वाले 250 बीज होते हैं। इसका पका हुआ फल स्वाद में मामूली अधिक मीठा होता है, लेकिन इसके रस में उच्च अम्ल की मात्रा (3.0 प्रतिशत से अधिक) के कारण इसका स्वाद कड़ुवा होता है। इसके फल में मुख्यत: विटामिन A : 700 IU, विटामिन C : 30.0 मि. ग्रा., रेशा: 6.8 ग्रा., कार्बोहाइड्रेट: 23.30 ग्रा., प्रोटीन : 2.2 ग्रा. और वसा : 0.68 ग्रा. (सभी प्रति 100 ग्रा. रस) होती है। इसके अलावा इसमें फॉस्फोरस, लौह-तत्व, सोडियम, पोटेशियम आदि जैसे खनिज होते हैं।
पैशन फ्रूट का जूस अपने अनेक निम्नलिखित स्वास्थ्यवर्धक कारणों से काफी विख्यात है:
- इसका जूस पाचन तंत्र को शक्ति प्रदान करता है और गैंस संबंधी रोगों के उपचार में सहायता करता है।
- इसके बीजों में उच्च मात्रा में रेशा तत्व होता है जिसकी आवश्यकता शरीर को मलाशय साफ करने में पड़ती है। इससे से पाचनीयता बढ़ती है तथा हृदय आघात एवं हृदय रोग को रोकने में सहायता मिलती है।
- पैशन फ्रूट में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर को ऐसे मुक्त मूलकों को हटाने में सहायता करता है जिनसे त्वचा एवं ऊतक को नुकसान पहुंचता है, और यह दृष्टि में सुधार लाता है।
- इसमें विटामिन C भी भरपूर मात्रा में होता है जो ऊतक को शक्ति देने में, हृदय रोग, कैंसर रोग को रोकने तथा हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायता करता है।
- पैशन फ्रूट में पाए जाने वाले प्रतिऑक्सिडेंट कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।
यद्यपि कॉफी बागानों के वृक्षों पर चढने वाले बेल के रूप में कर्नाटक के मुख्य क्षेत्रों में पैशन फ्रूट की कुछ हद तक खेती की जा सकती है, लेकिन मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए इसका व्यावसायिक दोहन नहीं किया गया है।
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरू में एक बहुत स्वादिष्ट पैशन फ्रूट पेय पदार्थ विकसित किया गया है। यह पूर्ण रूप से पके हुए पैशन फ्रूट (कावेरी) से तैयार किया गया एक पेय सांद्रित पदार्थ है। इस उत्पाद का समृद्ध प्राकृतिक रंग और बेहतरीन फ्लेवर काफी विशिष्ट है। प्रशीतित स्थितियों (5+1oC) पर इसको 12 माह तक और सामान्य वातावरण में 6 माह तक रखा जा सकता है। इसका उपयोग करते समय ठंडे पानी में 1:3 के अनुपात में मिलाया जाना आवश्यक है। इसके रस में बेहतरीन और विशिष्ट खुशबू के कारण इसे अन्य फलों के साथ भी मिश्रित किया जा सकता है।
आईआईएचआर, गोनिकोप्पल, केवीके के तकनीकी अधिकारी को आईआईएचआर बेंगलुरू में पैशन फ्रूट पेय के उत्पादन में प्रशिक्षित किया गया। उसके उपरांत सोमवारपेट तहसील में कराकाली गांव की श्रीमती निर्मला जय प्रकाश को तथा वर्ष 2009-10 के दौरान केवीके गोनिकप्पल में आयोजित फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण और संरक्षण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कोडगु जिले से अनेक अन्य लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया। केवीके के तकनीकी अधिकारी की सलाह पर श्रीमती निर्मला जयप्रकाश ने स्थानीय रूप से उपलब्ध फलों से छोटे पैमाने पर पैशन फ्रूट का उत्पादन करना आरंभ किया। इसके रस का आकर्षक स्वाद और खुशबू के कारण, श्रीमती निर्मला जयप्रकाश प्रति माह 60-70 जूस की बोतलें बेचने में कामयाब हुईं और इससे उन्होंने 4000-6500 रूपयों का लाभ प्राप्त किया। इसके पेय पदार्थ की बढ़ती मांग को देखते हुए, उन्होंने अपने गांव के अन्य 15 लोगों को पैशन फ्रूट जूस का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।