Sample Heading

Sample Heading

अर्का मंगला

Primary tabs

इक्रिसैट-आईआईएचआर भू-समृद्धि परियोजना के तहत उडुप्पि में लंबी लोबिया की अर्का मंगला किस्म का निष्पादन

 

भा.कृ.अनु.प.-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने उच्च पैदावार वाली लंबी लोबिया अर्का मंगला की पहचान की है। लंबी लोबिया (विग्नाअंग्विक्युलेटा उप जाति सेस्क्विपेडालिस एल.) कच्ची हरी फलियों के लिए उगाई जा रही एक महत्वपूर्ण फलीदार सब्जी है। उडुप्पि जिले के कुंदापुरा तहसील के मेल्होसूर गाँव के कुण्डीकोडलुमने के प्रगतिशील किसान श्री एच. बाबु शेट्टी ने रबी 2018-19 के दौरान अपने खेत में 0.25 एकड़ में अर्का मंगला उगाया। श्री एच. बाबु शेट्टी को अर्का मंगला के बीज भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु और कृषि विज्ञान केंद्र, ब्रह्मावर ने इक्रिसैट-आईआईएचआर भू-समृद्धि परियोजना के तहत दिए। उन्होंने नवंबर में पौधों के बीच 45 से.मी. और पंक्तियों के बीच 120 से.मी. की दूरी रखते हुए फसल लगाई। उन्होंने भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. की अनुशंसाओं को अपनाया। उन्होंने अर्का मंगला की पैदावार बढ़ाने के लिए पर्णीय छिड़काव मिश्रण अर्का सब्जी स्पेशल की अनुशंसित मात्रा (4-5 ग्रा./ली. पानी में शैम्पू की एक पाउच और मध्यम आकार के दो नींबू) के साथ मिलाकर तीन बार प्रयोग किया। श्री बाबु शेट्टी भा.बा.अनु.सं. के वैज्ञानिकों (डॉ. डी. कलैवण्णन, डॉ. पी.वी.आर. रेड्डी और डॉ. आर. सेंदिल कुमार) और कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों के निरंतर संपर्क में रहे, जिन्होंने इक्रिसैट-आईआईएचआर भू-समृद्धि परियोजना के तहत नियमित रूप से उनके खेत का दौरा किया।

 

किसान को अर्का मंगलाकी बहुत ही अच्छी पैदावार (3.5 टन/0.25 एकड़) मिली और वे प्रति कि.ग्रा. रु. 45 की दर से आसपास के बाज़ार में बेच सके। बेहतर फली-लंबाई, कुरकुरापन, हरी फली, पैदावार और शुद्ध आय की दृष्टि से अर्का मंगला के निष्पादन पर वे बहुत खुश थे। उनको चार माह की फसल-अवधि में 0.25 एकड़ से रु. 97,500/- की शुद्ध आय मिली, जिससे वे खुश हो गए। किसान ने खुशी ज़ाहिर की कि उन्हें आईआईएचआर की लंबी लोबिया किस्म अर्का मंगला से अच्छी पैदावार और शुद्ध आय मिली। उन्होंने कहा कि इस किस्म में निरंतर फूल व फल लगते हैं और फली की रेशा-रहित प्रवृत्ति के कारण इसे बिना चर्मपत्र के आसानी से काट सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस किस्म में जल्दी फली लगती है और कच्ची हरी फलियाँ स्थानीय बाज़ार में बहुत ही पसंदीदा है और उच्च कीमत भी मिलती है। जब उन्होंने अपने खेत में अर्का मंगला की खेती प्रारंभ किया तो आसपास के गाँवों किसानों को भी इस किस्मा के बारे जानकारी मिली। उन्होंने अपने और आसपास के गाँवों के अन्य किसानों को भी भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. द्वारा विकसित इस तरह की किस्मों को उगाने के लिए प्रेरित किया। श्री बाबु शेट्टी के खेत में अर्का मंगला के निष्पादन को देखते हुए उस गाँव के और आसपास के गाँवों के अन्य किसानों ने भी अर्का मंगला की खेती करने में रुचि दिखाई। किसानों की रुचि के आधार पर किसानों को इक्रिसैट-आईआईएचआर भू-समृद्धि परियोजना के तहत रबी 2019-20 में उगाने के लिए अर्का मंगला के लगभग 29 कि.ग्रा. बीज दिए गए।